बुधवार, 5 नवंबर 2008

नया कारोबार


इश्क की यादगार है भाई,

दिल मेरा दाग़दार है भाई,

उसने रिश्ते पे डाल दी मिट्टी,

मेरे दिल में मज़ार है भाई।

पूरी क़ीमत लगाइए अपनी,

अब यही कारोबार है भाई।

3 टिप्‍पणियां:

अवाम ने कहा…

अच्छी रचना है..

admin ने कहा…

दिल के जज्‍बातों को बहुत ही खूबसूरती से बयाँ किया है, मुबारकबाद कुबूल फरमाएं।

बेनामी ने कहा…

भाई जान, टूटे दिल का हाल बयां करने को आपका हेडर में लगा चेहरा ही बहुत था। तीरज़दा दिल लगाने की क्या ज़रूरत थी। साहब मौजूं वक्त है तो कहता चलूं कि ऐसे लोग कम ही बचे हैं जिनका चेहरा हाल बयां करे।

Related Posts with Thumbnails