शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

एक बात कहना चाहते हैं


आप के पास वाली कुर्सी पर
अब कोई और बैठता है
आप के क़रीब है
ये सोच कर ऐंठता है।
मेरी हर चीज़ पर
कर लिया है अधिकार,
मुझे बना दिया है लाचार।

ऑफिस से लेकर घर तक
आपके सारे काम निपटाता है।
वो इसी पर खुश है
के आप के घर जाता है।
लोग छुप छुप कर बतिया रहे है
आप पर उँगलियाँ उठा रहे हैं
बदनामी आप की होगी
उसका क्या जाता है।

कभी मैंने भी आपका हाथ बटाया था,
घर नहीं पर ऑफिस का काम निपटाया था।
एक फ़ैसले ने मुझे आप से दूर कर दिया,
मेरे ट्रांसफ़र ने मुझे मजबूर कर दिया।

हम आप से एक बात कहना चाहते हैं,
हम आप के पास रहना चाहते हैं।
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