गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

नव वर्ष मंगलमय हो

गुरुवार, 10 दिसंबर 2009

कोई तो इधर आए


इस बंद हवेली में दम मेरा घुट जाए,
पलकों को बिछाए हूँ कोई तो इधर आए।

सुनसान अंधेरे में घबराएगा दिल मेरा,
डरता हूँ कहीं सूरज सोने चला जाए।


अपने सभी ज़ख्मों को मैं दिल में छुपा लूँगा,
कोशिश है के आंखों से आंसू छलक जाए।

चौराहे पे कर अब मंजिल ही नही मिलती,
रस्ता भी नही मालूम जायें तो कहाँ जायें।

'अनवार' अकेले में मांगी है दुआ रब से,
घंघहोर अंधेरों तक कोई तो किरण आए।

सोमवार, 23 नवंबर 2009

मैं क्या करूं


कितना बदल गया है ज़माना मैं क्या करूं,
मुश्किल हुआ है दिल का लगाना मैं क्या करूं

माना के रास्ते में बड़ी भीड़ है मगर,
आता नही है अपना बनाना मैं क्या करूं

जाएं कहाँ पे किसको सुनाएं ये दास्तान,
सुनता नही है कोई फ़साना मैं क्या करूं

चेहरे को अपने रोज़ बदलते हैं सब यहाँ,
आता नही है कोई बहाना मैं क्या करूं

नज़रों के सामने कभी आजाएं वो अगर,
'अनवार' तुम ही मुझको बताना मैं क्या करूं

गुरुवार, 3 सितंबर 2009

तुम कौन हो???



तुम कौन तुम्हें किसने भेजा,


क्यों मुझे सहारा देते हो


मेरी आंखों का हर आंसू,


अपनी आंखों में लेते हो


मैं तुमको अपना क्या मानूं ,


अभिशाप हो या वरदान हो तुम?


तनहाई में अक्सर रो रो कर,


तुम मेरा नाम क्यों लेते हो ???

शनिवार, 29 अगस्त 2009

दोस्त का गिफ़्ट


कैसे भेजूं ए मेरे दोस्त बता फूल तुझे,

जबकि कांटे ही चुभाये हों ज़माने ने मुझे।

गुरुवार, 6 अगस्त 2009

जिंदगी के चिराग़



वक्त की बेशुमार रातों में,


जिंदगी के चिराग़ जलते हैं।


दूर तुम हमसे होते जाते हो,


हम तुहारे लिए मचलते हैं।

शनिवार, 27 जून 2009

दोस्त रस्ते में...


दोस्त रस्ते में कहीं छूट गया,

दिल का कच्चा था घड़ा फूट गया।

साथ चलता है कोई साए सा,

आज तो ये भी भरम टूट गया।

शनिवार, 30 मई 2009

मुबारक है मुझे

रौशनी ले लो नाबीनाई मुबारक है मुझे,

हर तरफ़ मेरे तमाशाई मुबारक है मुझे।


है दुआ महफिल में तेरी रौनक़े आबाद हों,


ये अकेलापन ये तनहाई मुबारक है मुझे।

शनिवार, 23 मई 2009

परछाइयों का डर



बेनाम पुकारूँ तो कभी तेरे नाम से,


तुझको पुकारता हूँ मैं हर इक मुक़ाम से।


अशको के साथ साथ मेरे ग़म छलक गए,


रखा था अपने दिल में बड़े एहतराम से,


परछाइयों से भी मुझे लगने लगा है डर,


मैंने बुझा दिया है चिरागों को शाम से।


होठों पे तबस्सुम मगर दिल में मैल था,


करते रहे फरेब बड़े एहतिमाम से।


'अनवार' हमको ऐसी बहारें भी कुछ मिलीं,


घबरा गया हूँ आज बहारों के नाम से।





गुरुवार, 7 मई 2009

मैं हूँ एक दिया




मैं हूँ जलता हुआ राह का एक दिया,


जिसने लोगों की राहों को रोशन किया।


बदनसीबी मगर मुझको इतनी मिली,


मुझको अपनी कभी रौशनी न मिली।


शनिवार, 11 अप्रैल 2009

मकान की समस्या और गन्दा नाला


बहुत दिन से थे परेशान

ढूंढ रहे थे एक मकान

प्रोपर्टी डीलर ने किया एहसान

दिखाया एक मकान

मकान था बेहद आलीशान

यों लगा जैसे मिल गया समाधान

समस्या हो गयी आसान

पर तभी दिखा एक गड़बड़झाला

मकान से सट कर बह रहा था गन्दा नाला

नाला देख कर छोटा भाई बिदक गया

हमारा भी मन कुछ - कुछ हिचक गया

हमने आँखें मूँद कर अपने विचार्रों को कूटा

और तभी अन्दर से एक आईडिया फूटा

मैंने कहा अब ज़्यादा न सोचो भाईजान

मकान में घुस जाओ लेकर अपना सामान

कुछ समय बाद गहराएगा जल संकट

हल हो जाएगा अपना झंझट

नाला अपने आप ख़तम हो जाएगा

अरे! जब पीने को ही पानी न होगा

तो नाले में कौन बहाएगा



गुरुवार, 2 अप्रैल 2009

मोहब्बत के ग़म




कभी थोड़े ज़्यादा कभी कम मिले हैं


हमें इस मोहब्बत में बस ग़म मिले हैं


इन्हें तुम उठा कर फ़लक़ पर सजा दो


मेरी आँख से जितने शबनम गिरे हैं


अपूर्ण.......

बुधवार, 18 मार्च 2009

इश्क़ का तूफ़ान


शोख़ चंचल ज़िन्दगी की हर निशानी ले गया,
कौन था वो जो मेरी सुबहें सुहानी ले गया।

उसके जाते ही मेरी बेनूर आँखें हो गईं ,
मेरी आंखों से छलकता पानी - पानी ले गया

ज़िन्दगी धुंधला गयी हर वर्क कोरा रह गया,
जीस्त के पन्नों पे लिखी हर कहानी ले गया।

इक मुसलसल शाम ही अब मेरे अफ़साने में है,
इश्क का तूफ़ान दरिया की रवानी ले गया।

अब कहीं अनवार तेरा कुछ पता मिलता नही,
हर गली रस्ते से कोई सब निशानी ले गया।
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