शनिवार, 6 दिसंबर 2008

इंसान का चेहरा!


उसे कोई भी शै हंसती हुई अच्छी नही लगती,
वो फूलों के लबों से मुस्कुराना छीन लेता है।
घने जंगल इसी की ज़द में आ कर शहर बनते हैं,
ये इन्सां तो परिंदों का ठिकाना छीन लेता है।

बुधवार, 5 नवंबर 2008

नया कारोबार


इश्क की यादगार है भाई,

दिल मेरा दाग़दार है भाई,

उसने रिश्ते पे डाल दी मिट्टी,

मेरे दिल में मज़ार है भाई।

पूरी क़ीमत लगाइए अपनी,

अब यही कारोबार है भाई।

मंगलवार, 21 अक्तूबर 2008

मेरे आंसू

हमें तन्हाइयों की आदत है,
हमको महफिल में मत बुला लेना।
याद आ जाएं जब मेरे आंसू ,
देखो पल भर को मुस्कुरा देना।

बुधवार, 8 अक्तूबर 2008

प्रतिक्रिया

राहुल भाई आप ही की तरह अन्य मित्र भी मेरे दर्द की वजह पूछते हैं , मुझे लगता है की जो लोग रिश्तों को बचाए रखने में सारी उम्र लगा देते हैं अक्सर उन्हें ऐसे ही ज़ख्मों से दो -चार होना पड़ता है हाँ ये और बात है के आसानी से ये ज़ख्म दुनिया के सामने अयाँ नही होते , कृष्ण बिहारी नूर साहब के शब्दों में:-
तमाम जिस्म ही घायल था घाव ऐसा था,
कोई न जान सका रखरखाव ऐसा था।

=अनवारुल हसन

मंगलवार, 7 अक्तूबर 2008

ज़ुल्म की शिद्द्त


बढ़ा दो ज़ुल्म की शिद्द्त बढ़ा दो,

बहुत दिन हो गए रोया नही हूँ।

सिरहाने मौत का तकिया लगा दो,

कई रातों से मैं सोया नही हूँ ।

रविवार, 7 सितंबर 2008

नींद नहीं आती है…


अनजाने अनचीन्हे रस्ते पे चलती है,
जैसे फ़िज़ाओं में तितली मचलती है।
यादों की चिलमन सी गिरती संभलती है,
अँधियारा होते ही दीपक सा जलती है।

तारों के झुरमुट में रस्ते बनाती है,
गीतों और गज़लों के मुखड़े सजाती है।
जीवन का राग मेरे साथ-साथ गाती है,
दूर कहीं छुप-छुप के पायल खनकाती है।

वादा है उसका मैं सपनो में आऊँगी,
प्रीतम का सूना घर आँगन सजाऊँगी।
देहरी पे खुशियों के दीपक जलाऊंगी,
रेशम की चमकीली माला बन जाऊंगी।

चाहत है सच्ची तो फिर क्यों ये दूरी है ?
लगता है तुम बिन ये ज़िन्दगी अधूरी है।
साजन से मिलना है ऐसी मजबूरी है ,
सपनों की खातिर तो सोना ज़रूरी है।

रात बड़ी बैरन है मुझको सताती है ,
ख़्वाबों की डोली को दूर लिए जाती है।
नैनों के आँचल से निंदिया चुराती है,
नींद नहीं आती है, नींद नहीं आती है...
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शुक्रवार, 25 जुलाई 2008

टूट गयीं चूडियाँ

अपने पिता के निधन के बाद मैंने अपनी माँ की टूटी हुई चूडियों की एक घटना अपनी बहिन वर्षा दीपक जी को बताई थी। उन्होंने मेरे दर्द को महसूस किया और कुछ दिन बाद ये कविता लिख कर मुझे दी। इस घटना से मैंने यह जाना के परम्पराओं की डोर कितनी मज़बूत होती है।
_अनवारुल हसन

खनकती कलाई माँ की, चूडियाँ हरी-भरी

मुस्कान गुलाबी लगती थी कितनी भली।

काली घटा में एक दिन, घटना ऐसी घट गयी

ढूँढा बहुत हँसी को पर जाने कहाँ सिमट गयी।

खो गए कहकहे, उमड़ी भीड़ इधर-उधर

फुसफुसाते लोगों के बीच, घुलने लगा अजब ज़हर।

फ़र्श पर कांच बिखरे, ले रहे थे अन्तिम साँस

रंग-बिरंगे सपने टूटे, चुभो दी गयी जबरन फाँस।

पापा लाते थे चूडियाँ, लगता था जब मेला

एक मेला लगा घर में , बदले माँ का चोला

बदली समय ने चाल, पर बदले नहीं रिवाज

हरी चूडियाँ छीन, घाव हरे कर रहा समाज।

देती नहीं सुनाई अब, रुनझुन वाली पदचाप।
ओढ़ उदासी, माँ दिखती है चुपचाप।

रंग गए पापा संग, माँ रहे यादों के साथ

छिप-छिप रोए, देखे बेटी माँ के नंगे हाथ।

_वर्षा दीपक दिवेदी

मंगलवार, 15 जुलाई 2008

ग़रीबी में ऐश


एक अमीर लड़की को स्कूल में ग़रीब परिवार पर निबंध लिखने को कहा गया

ESSAY : एक ग़रीब परिवार था, पिता ग़रीब, माँ ग़रीब, बच्चे ग़रीब। परिवार में 4 नौकर थे, वह भी ग़रीब। कार भी टूटी हुई SCORPIO थी। उनका ग़रीब ड्राईवर बच्चों को उसी टूटी कार में स्कूल छोड़ के आता था। बच्चों के पास पुराने मोबाइल थे। बच्चे हफ्ते में सिर्फ 3 बार ही होटल में खाते थे। घर में केवल 4 सेकंड हैण्ड एसी थे। सारा परिवार बड़ी मुश्किल से ऐश कर रहा था.!

गुरुवार, 26 जून 2008

...गहरा ज़ख्म



ज़ख्म गहरा था मगर हमने दिखाया ही नही,

उसने पूछा भी नही हमने बताया भी नही।


कुछ न समझें वो अगर इसमे ख़ता मेरी कहाँ,

हाले दिल हमने कभी उनसे छिपाया ही नही।


तेरी दुनिया को ज़रूरत है हमारी 'अनवार'

फिर न कहना के कभी हमने बताया ही नही।
_अनवारुल हसन 'अनवार'

आ मेरे दोस्त किसी दिन मुझे धोखा दे दे


शहर में ढूँढ रहा हूँ के सहारा दे दे
कोई हातिम जो मेरे हाथ में कासा दे दे


पेड़ सब नंगे फकीरों की तरह सहमे हैं
किस से उम्मीद ये की जाए कि साया दे दे

वक्त की संग-ज़नी नोच गई सारे नक़्श
अब वो आईना कहाँ जो मेरा चेहरा दे दे
दुश्मनों की भी कोई बात तो सच हो जाए
आ मेरे दोस्त किसी दिन मुझे धोखा दे दे

मैं बहुत जल्द ही घर लौट के आ जाऊँगा
मेरी तन्हाई यहाँ कुछ दिनों पहरा दे दे

डूब जाना ही मुकद्दर है तो बेहतर वरना
तूने पतवार जो छीनी है तो तिनका दे दे

जिसने कतरों का भी मोहताज किया मुझको
वो अगर जोश में आ जाए तो दरिया दे दे

तुमको राहत की तबीयत का नहीं अंदाज़ा
वो भिखारी है मगर माँगो तो दुनिया दे दे।

बुधवार, 14 मई 2008

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो...


रामू (डॉक्टर से)- डॉक्टर साहब! ये फूलों की माला किस के लिए?
डॉक्टर (रामू से)- ये मेरा पहला ऑपरेशन है, सफल हुआ तो मेरे लिए, नहीं तो तुम्हारे लिए।

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बिल गेट्स को शिकायती पत्र
आदरणीय बिल्लू भैय्या को, इंडिया से मुंगेरीलाल सरपंच का सलाम कबूल हो... आपके देश के एक और बिल्लू भैय्या (बतावत रहें कि प्रेसीडेंटवा रहे) ऊ भी इस पंचायत को एक ठो कम्प्यूटर दे गये हैं । अब हमरे गाँव में थोडा-बहुत हमही पढे-लिखे हैं तो कम्प्यूटर को हम घर पर ही रख लिये हैं। ई चिट्ठी हम आपको इसलिये लिख रहे हैं कि उसमें बहुत सी खराबी हैं (लगता है खराब सा कम्प्यूटर हमें पकडा़ई दिये हैं), ढेर सारी "प्राबलम" में से कुछ नीचे लिख रहे हैं, उसका उपाय बताईये

-१। जब भी हम इंटरनेट चालू करने के लिये पासवर्ड डालते हैं तो हमेशा ******** यही लिखा आता है, जबकि हमारा पासवर्ड तो "चमेली" है... बहुत अच्छी लडकी है...।
२। जब हम shut down का बटन दबाते हैं, तो कोई बटन काम नही करता है ।
३। आपने start नाम का बटन रखा है, Stop नाम का कोई बटन नही है.... रखवाईये...
४। क्या इस कम्प्यूटर में re-scooter नाम का बटन है ? आपने तो recycle बटन रखा है, जबकि हमारी सायकल तो दो महीने से खराब पडी है...
५। Run नाम के बटन दबा कर हम गाँव के बाहर तक दौड़कर आये, लेकिन कुछ नही हुआ, कृपया इसे भी चेक करवायें।
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बंता का हेलिकॉप्टर हवा में उठने लगा। 1,000 फीट की ऊंचाई पर उसने रेडियो पर सूचना भेजी कि उसे बहुत अच्छा लग रहा है और वह हेलिकॉप्टर बहुत अच्छी तरह से उड़ा रहा है।कुछ ही मिनट में बंता का हेलिकॉप्टर 3,000 फीट की ऊंचाई पर जा पहुंचा। अचानक तभी हेलिकॉप्टर लड़खड़ाता हुआ नीचे की तरफ आने लगा। हेलिकॉप्टर को गिरता देख प्रशिक्षक बहुत डर गया। हेलिकॉप्टर नीचे आ गिरा।
प्रशिक्षक दौड़कर हेलिकॉप्टर के मलबे के पास पहुंचा और किसी तरह बंता को बाहर निकाला। बंता होश में था। उसने बंता से पूछा कि आखिर हुआ क्या था? वह अच्छा उड़ा रहा था।बंता ने जवाब दिया, “मुझे भी कुछ पता नहीं। सब कुछ बढ़िया था। फिर मुझे ठंड लगने लगी और मैने अपने ऊपर का बड़ा पंखा बंद कर दिया।”
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डॉक्टर (बूढ़े मरीज से)- आज मैं आपको ऐसी दवा दूंगा कि आप फिर से जवान हो जाओगे।
बूढ़ा मरीज (डॉक्टर से)- ऐसी दवा मत दीजिएगा डॉक्टर साहब! वरना मेरी पेंशन बंद हो जाएगी।
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संता और उसकी पत्नी जीतो काफी खुश थे। काफी लम्बे समय के इंतजार के बाद उन्हें गोद लेने के लिए एक बच्चा मिल पाया था। बच्चों के देखभाल केंद्र के व्यवस्थापक ने उन्हें बुलाकर कहा कि उनके पास एक तमिल बच्चा आया है। वे दोनों बच्चे को ले जा सकते है।बच्चे को लेकर दोनो खुशी-खुशी घर लौट रहे थे। रास्ते में वे दोनो एक रात्रि कॉलेज में दाखिला लेने पहुंचे। दाखिले के कागजातों को भर लेने के बाद कॉलेज के कर्मचारी ने पूछा कि क्या बात है कि वे तमिल ही सीखना चाहते हैं?संता और जीतो ने गर्व से कहा, “हमने एक तमिल बच्चा गोद लिया है। एक–दो साल में जब बच्चा बोलने लगेगा तो हम चाहते हैं हम भी उसकी बात समझ सकें।”
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तन्हा चाँद

मैं अकेला हूँ चाँद भी तन्हा,

ज़िन्दगी की उदास राहों में।

सोचता हूँ लिपट के सो जाऊं,

चाँद की इन हसीन बाहों में।
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