शनिवार, 11 जून 2011

दामन में वो ही दाग़ लगाएगा


शीशा है दिल तो टूट ही जायेगा एक दिन,
अपनी कहानी ख़ुद ही सुनाएगा एक दिन।
आंधी ये मुझे रोक ले उठता नहीं सवाल,
तूफां का इंतज़ार है आएगा एक दिन।
अब ऐतबार हमको नही दुश्मनों पे है,
दुश्मन भी दोस्त बन के सताएगा एक दिन।
किस से है मोहब्बत हमें हम कैसे बता दें,
दिल ख़ुद हमारा तुम को बताएगा एक दिन।
नादां समझ के हमने उसे माफ़ कर दिया,
लेकिन वो कह गया है बताएगा एक दिन,
बादल गरजने वाले भी बरसात करेंगे,
क्या ज़िन्दगी में ऐसा भी आएगा एक दिन।
ये बात मान लो के भलाई इसी में है,
कश्ती को नाख़ुदा ही डूबाएगा एक दिन।
देता हूँ तुमको आज मैं ईमान की दावत,
बिगड़ी तो बस खुदा ही
बनाएगा एक दिन।
अपना समझ रहे हैं जिसे आज वो 'अनवार'
दामन में वो ही दाग़ लगाएगा एक दिन।
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