शनिवार, 30 मई 2009

मुबारक है मुझे

रौशनी ले लो नाबीनाई मुबारक है मुझे,

हर तरफ़ मेरे तमाशाई मुबारक है मुझे।


है दुआ महफिल में तेरी रौनक़े आबाद हों,


ये अकेलापन ये तनहाई मुबारक है मुझे।

शनिवार, 23 मई 2009

परछाइयों का डर



बेनाम पुकारूँ तो कभी तेरे नाम से,


तुझको पुकारता हूँ मैं हर इक मुक़ाम से।


अशको के साथ साथ मेरे ग़म छलक गए,


रखा था अपने दिल में बड़े एहतराम से,


परछाइयों से भी मुझे लगने लगा है डर,


मैंने बुझा दिया है चिरागों को शाम से।


होठों पे तबस्सुम मगर दिल में मैल था,


करते रहे फरेब बड़े एहतिमाम से।


'अनवार' हमको ऐसी बहारें भी कुछ मिलीं,


घबरा गया हूँ आज बहारों के नाम से।





गुरुवार, 7 मई 2009

मैं हूँ एक दिया




मैं हूँ जलता हुआ राह का एक दिया,


जिसने लोगों की राहों को रोशन किया।


बदनसीबी मगर मुझको इतनी मिली,


मुझको अपनी कभी रौशनी न मिली।


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